उत्तर प्रदेश में एक अनोखी और चर्चा में आई अदालतीन लड़ाई ने पुलिस विभाग के एक विवादित मामले को नई दिशा दी है। बरेली रेंज के रिटायर्ड IPS अधिकारी राकेश सिंह द्वारा एक सिपाही तौफीक अहमद को बर्खास्त करने के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी जिसमें एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब सिपाही की ओर से अभियोजिका अनुरा सिंह, जो स्वयं राकेश सिंह की पुत्री हैं, ने केस की पैरवी की।
यह मामला जनवरी 2023 का है, जब त्रिवेणी एक्सप्रेस में यात्रा कर रही 17 वर्षीय एक लड़की ने सिपाही तौफीक अहमद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पीड़िता के पिता ने POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। निचली अदालत ने सिपाही को बरी कर दिया था, लेकिन पुलिस विभाग ने जांच के बाद तौफीक को बर्खास्त कर दिया था। इसके खिलाफ तौफीक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया।
हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान अनुरा सिंह ने अपने रिटायर्ड पिता राकेश सिंह को भी कोर्ट में हाजिर किया। उन्होंने तर्क दिया कि विभागीय जांच और बर्खास्तगी प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। दूसरी ओर राकेश सिंह ने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विभागीय कार्रवाई को निरस्त करते हुए तौफीक अहमद की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी और उसे पुनः बहाल करने का आदेश दिया।
रिटायर्ड IPS अधिकारी राकेश सिंह ने अदालत के फैसले को हार के बजाय अपनी और अपनी बेटी की कामयाबी के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि कोर्ट में अपना पक्ष पेश करना और बेटी के बेहतरीन काम को देखना किसी भी पिता के लिए गर्व की बात है।







