शिवपुरी/ग्वालियर – मध्यप्रदेश में सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन हालात यह दर्शा रहे हैं कि रिश्वतखोरी अब भी जड़ें जमाए बैठी है। ताज़ा मामला शिवपुरी जिले के पिछोर नगर परिषद का है, जहाँ लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार देर शाम बड़ी कार्रवाई करते हुए दो कर्मचारियों को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा।
मामला क्या है?
शिकायत इंजीनियर विशाल केवट ने दर्ज कराई थी, जिन्होंने नगर परिषद को कंप्यूटर और प्रिंटर की सप्लाई का टेंडर जीता था। लगभग 4.77 लाख रूपए का बिल पास होना था, किंतु अधिकारियों पर आरोप है कि भुगतान के बदले टेंडर राशि का लगभग 15% रिश्वत मांगा गया। यही रकम किस्तों में देने की योजना बनी थी।
शिकायत के आधार पर लोकायुक्त टीम ग्वालियर ने छापा मारते हुए नगर परिषद के लेखपाल दीपक सिंह बनाफर और टाइमकीपर रामबाबू त्रिपाठी को पैसों के आदान-प्रदान के दौरान पकड़ लिया।
लोकायुक्त की पुष्टि
लोकायुक्त डीएसपी विनोद कुशवाहा ने बताया कि शिकायत की सत्यता की पुष्टि 1 सितम्बर को कराई गई थी। जांच जैसे ही पूरी हुई, टीम ने कार्रवाई की और दोनों कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। अब इनके खिलाफ रिश्वत अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
भ्रष्टाचार पर बड़ा सवाल
इस घटना ने नगर परिषदों और स्थानीय निकायों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चूंकि ऐसी परियोजनाएँ सीधे जनता की सुविधा से जुड़ी होती हैं, रिश्वतखोरी के चलते विकास कार्य अटक जाते हैं और ईमानदार ठेकेदार भी हतोत्साहित होते हैं।








