Big Scam : ग्वालियर – शिक्षा विभाग में फर्जी डीएड अंकसूचियों पर नौकरी पाने का खेल सिर्फ नकली मार्कशीट तक सीमित नहीं था, बल्कि दो स्तर पर गंभीर हेरफेर की गई। एसटीएफ की पड़ताल में ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनमें शिक्षा विभाग ने इन अभ्यर्थियों की अंकसूचियां फर्जी बताते हुए रिपोर्ट भेजी थी।
इसी रिपोर्ट को बाद में बदलकर सही दिखा दिया गया। अफसरों ने कार्रवाई करने की जगह फर्जी रिपोर्ट लगा दी गई। अब एसटीएफ ने दर्ज मामलों में आरोपी शिक्षकों की नियुक्ति में शामिल चयन समितियों और तत्कालीन शिक्षा अधिकारियों की पूरी जानकारी मांगी है।
Big Scam : 3 बार बदली प्रक्रिया… रैकेट फर्जी अंकसूची से दिलाता रहा जॉब
शिक्षकों की भर्ती में डीएड अंकसूची के उपयोग की प्रक्रिया तीन बार बदली गई। इसके बावजूद रैकेट अफसरों से मिलीभगत कर फर्जी अंकसूचियों के सहारे नौकरियां दिलाता रहा। 1996 2003 की अवधि में शिक्षकों की नियुक्ति जनपद व पंचायत की चयन समिति के माध्यम से होती थी।
डीएड की अंकसूची के 20 अंक मिलते थे। इसके बाद प्रक्रिया बदली व्यापमं के माध्यम से नियुक्ति हुई। इसमें दो साल में डीएड कर अंकसूची लगाने पर संविलियन कर वेतनवृद्धि की जाती थी। 2014 के बाद शिक्षक की नौकरी में डीएड को अनिवार्य कर दिया गया। इसमें डीएड करने वाले ही नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे। इसमें भी फर्जी अंकसूची का उपयोग हुआ।

Big Scam : ग्वालियर – शिक्षा विभाग में फर्जी डीएड अंकसूचियों पर नौकरी पाने का खेल सिर्फ नकली मार्कशीट तक सीमित नहीं था, बल्कि दो स्तर पर गंभीर हेरफेर की गई। एसटीएफ की पड़ताल में ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनमें शिक्षा विभाग ने इन अभ्यर्थियों की अंकसूचियां फर्जी बताते हुए रिपोर्ट भेजी थी।
इसी रिपोर्ट को बाद में बदलकर सही दिखा दिया गया। अफसरों ने कार्रवाई करने की जगह फर्जी रिपोर्ट लगा दी गई। अब एसटीएफ ने दर्ज मामलों में आरोपी शिक्षकों की नियुक्ति में शामिल चयन समितियों और तत्कालीन शिक्षा अधिकारियों की पूरी जानकारी मांगी है।
Big Scam : 3 बार बदली प्रक्रिया… रैकेट फर्जी अंकसूची से दिलाता रहा जॉब
शिक्षकों की भर्ती में डीएड अंकसूची के उपयोग की प्रक्रिया तीन बार बदली गई। इसके बावजूद रैकेट अफसरों से मिलीभगत कर फर्जी अंकसूचियों के सहारे नौकरियां दिलाता रहा। 1996 2003 की अवधि में शिक्षकों की नियुक्ति जनपद व पंचायत की चयन समिति के माध्यम से होती थी।
डीएड की अंकसूची के 20 अंक मिलते थे। इसके बाद प्रक्रिया बदली व्यापमं के माध्यम से नियुक्ति हुई। इसमें दो साल में डीएड कर अंकसूची लगाने पर संविलियन कर वेतनवृद्धि की जाती थी। 2014 के बाद शिक्षक की नौकरी में डीएड को अनिवार्य कर दिया गया। इसमें डीएड करने वाले ही नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे। इसमें भी फर्जी अंकसूची का उपयोग हुआ।







