भास्कर समूह ने फर्जी खर्चों को दर्शाने कर्मियों के नाम पर बनाईं कंपनिया

मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले 6,000 करोड़ की संपिा वाले के व्यवसायिक समूह भास्कर ने अपने कर्मियों के नाम पर कई कंपनियां बनाईं और उनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों को दर्शाने, सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे को कम दिखाने और सर्कुलर लेनदेन करने के लिए किया। आयकर विभाग का यह बयान शनिवार को सामने आया। आयकर विभाग ने यह बयान भोपाल, इंदौर और नोएडा सहित शहरों में समूह के ठिकानों की तलाशी देने के बाद दिया है।
आयकर विभाग ने शनिवार को कहा कि इस पद्धति का उपयोग करके इन कंपनियों के जरिए पिछले 6 सालों में 700 करोड़ की आय पर टैस नहीं दिया गया। आयकर विभाग ने यह भी कहा कि यह राशि और भी बढ़ सकती है, योंकि समूह ने कई स्तरों का उपयोग किया है और पूरे पैसों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। आयकर विभाग ने कहा कि समूह ने चक्रीय व्यापार और असंबंधित व्यवसायों में लगी समूह कंपनियों के बीच 2200 करोड़ रुपए के धन का हस्तांतरण किया है। जांच में पता चला है कि ये बिना किसी वास्तविक आवाजाही या माल की डिलीवरी के काल्पनिक लेनदेन हैं। कर प्रभाव और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच की जा रही है।Þ एक मॉल का संचालन करने वाले व्यवसायिक समूह की अचल संपिा इकाई को एक राष्ट्रीयकृत बैंक से 597 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया था। आयकर विभाग ने कहा, Þइनमें से 408 करोड़ रुपए की राशि को एक प्रतिशत से कम याज दर पर एक सहयोगी संस्था को ऋण के तौर पर दिया गया। जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से याज के खर्च का दावा कर रही है, इसे ऋण लेने वाली कंपनी के व्यितगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया है।