मां के लिए 34 हजार में खरीदे 2 रेमडेसिविर

भोपाल राजधानी में कोरोना संक्रमण के बाद भर्ती मरीजों की अब भी फजीहत हो रही है। शहर के अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को दवा और इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मरीज के परिजन ब्लैक में इंजेक्शन खरीदकर लाने को मजबूर हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की अधिकांश दवा अस्पताल के बाहर से लानी पड़ रही है। टॉसिलिजुमैब इंजेक्शन लोगो को 24 घंटे में भी नहीं मिल पा रहा है लेकिन कुछ खास मरीजों को उपलब्ध हो जाता है।
जिम्मेदार अधिकारी और अस्पताल प्रबंधन हर व्यवस्थाओं के लिए मरीजों के परिजनों को ही आगे कर रहे हैं, चाहे वह दवा लाने का मामला हो या इंजेक्शन। कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन बहुत परेशान हो रहे हैं। इसमें कई मरीज भोपाल के बाहर के हैं, इन्हें दवा और इंजेक्शन लाने के लिए वाहन व्यवस्था नहीं होने के कारण महंगे दामों में आॅटो करके पूरे शहर में इसके लिए घूमना पड़ रहा है।
जेपी अस्पताल में भर्ती मां का इलाज कराकर चांदबड़ निवासी दीपक करण ने बताया कि उनकी मां 19 अप्रैल को भर्ती हुई थीं। यहां पर उन्हें कई बार दवाओं के लिए परेशान होना पड़ा। ब्लैक में दवाएं और इंजेक्शन खरीदकर अस्पताल प्रबंधन को दिए। उन्होंने ब्लैक में फेबी फ्लू टेबलेट 7000 रुपए और दो रेमडेसिविर इंजेक्शन 34 हजार रुपए में खरीदकर दिए। लोकल के होने के कारण उन्हें बहुत मशक्कत के बाद ये दवा और इंजेक्शन मिले। अस्पताल प्रबंधन हर छोटी-छोटी चीजों के लिए परिजनों को ही परेशान करते हैं।
सागर निवासी सचिव पटवा ने बताया कि उनका भाई कोरोना संक्रमित हैं और जेपी अस्पताल में भर्ती है। इलाज के दौरान अधिकांश दवाएं बाहर से लानी पड़ रही है। कई बार तो दवा के लिए दवा बाजार और न्यू मार्केट भी भागना पड़ता है। पटवा के अनुसार कोरोना वार्ड में लगातार चोरी होने के बाद उनके भाई सहित कई लोगों के मोबाइल भी चोरी हो चुके हैं। उन्होंने खुद के पैसों से एक पंखा भी वहां लगाया है, ताकि भाई को हवा मिलती रहे।