ईपीएफ घोटाला – अपने खाते में ही जमा कर लेता था कर्मचारियों का हिस्सा

नगर निगम कार्यालय में चल रहे ईपीएफ घोटाले की पोल ईपीएफ कार्यालय से आए एक पत्र के बाद प्याज की तरह परत दर परत खुलती जा रही है। बताया जाता है कि मस्टर कर्मियों के संगठित गिरोह द्वारा लम्बे समय से कर्मचारियों की ईपीएफ राशि में गड़बड़ी की जा रही थी। इस गड़बड़ी की पोल ईपीएफ कार्यालय से आए एक पत्र से खुली जिसके बाद एक पत्र नगर निगम आयुक्त को लिखा गया। इस पत्र के बाद गड़बड़ियों की जांच विभागीय स्तर पर की गई जिसमें मामला खुलकर सामने आया। मामला सामने आने के बाद प्रियदर्शी चतुर्वेदी समेत 7 मस्टर कर्मियों की सेवाएं फिलहाल समाप्त कर दी गई हैं। नगर निगम से जुड़े जानकार बताते हैं कि यह सारा खेल लम्बे समय से चल रहा था। इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं बशर्ते इसकी निष्पक्ष और प्रभावी जांच हो।
नगर निगम के कर्मचारियों की ईपीएफ की गड़बड़ी का मामला अब सीएम हेल्पलाइन में पहुंच गया है। नगर निगम के एक मस्टर कर्मी ने ईपीएफ की राशि उसके खाते में जमा नहीं किए जाने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की है। निगम के अतिक्रमण शाखा में कार्यरत एक कर्मचारी ने शिकायत की है कि उसकी ईपीएफ की राशि उसके खाते में जमा नहीं हुई है। उसने बताया कि वह अक्टूबर 2018 से नगर निगम में कार्यरत है लेकिन आज तक महज 15 हजार रुपए उसके ईपीएफ खाते में जमा हुए हैं। जबकि उसके खाते में 1246 रुपए की राशि की कटौती हर माह होती थी। कर्मचारी के मुताबिक पहले उसे 6400 रुपए वेतन के रूप में मिलते थे अब 7600 रुपए मिलते हैं।
ईपीएफ कार्यालय से आए पत्र के बाद जब मामले की जांच की गई तो सनसनीखेज जानकारी सामने आई। दरअसल जांच में पाया गया कि संबंधित कर्मचारी के खाते में कई बार राशि जमा हुई और उसके मूल वेतन के हिसाब से ज्यादा राशि जमा हुई। बताया जाता है कि संबंधित कर्मचारी का मूल वेतन तकरीबन 10 हजार के आसपास है और ईपीएफ की कटौती 12 प्रतिशत होती है। उस कटौती के हिसाब से सामने वाले के खाते में ज्यादा राशि आने के बाद गड़बड़ी की आशंका हुई।