चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बुधवार को पटना में एक कार्यक्रम आयोजित कर अपनी पार्टी की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का नाम जन सुराज Jan Suraj Party होगा. उन्हें अपनी पार्टी के जरिए बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में तूफान खड़ा करने की उम्मीद है. उन्होंने मनोज भारती को प्रदेश कार्यकारिणी का अध्यक्ष बनाया है.
पार्टी के लॉन्च के दौरान उन्होंने बुधवार को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भीड़ को संबोधित किया और कहा कि जन सुराज अभियान लंबे समय से चल रहा है, यह पिछले ढाई साल से चल रहा है. भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए, आज चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर जन सुराज Jan Suraj Party को जन सुराज पार्टी के तौर में स्वीकार कर लिया गया है.
पीके ने अपने समर्थकों से कहा कि नाम ठीक है और चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक इसे बदला नहीं जाएगा. अगर आप लोग मना करेंगे तो ईसी को दोबारा आवेदन करना पड़ेगा। नाम जन सुराज पार्टी Jan Suraj Party ठीक है, सबको मंजूर है. पीके ने दावा किया कि यहां 5 हजार से ज्यादा नेता आए हैं.
Jan Suraj Party की शुरुआत पटना के वेटरनरी कॉलेज मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, राजनयिक से नेता बने पवन वर्मा और पूर्व सांसद मोनाजिर हसन समेत कई मशहूर हस्तियों की मौजूदगी में की गई।
पार्टी की स्थापना
Jan Suraj Party की स्थापना किशोर द्वारा चंपारण से राज्य की 3,000 किलोमीटर से अधिक लंबी ‘पदयात्रा’ शुरू करने के ठीक दो साल बाद की गई थी, जहां महात्मा गांधी ने लोगों को एकजुट करने के लिए देश में पहला सत्याग्रह शुरू किया था. “नया राजनीतिक विकल्प” जो बिहार को उसके पुराने पिछड़ेपन से मुक्ति दिला सकता है.
‘हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान देना होगा’
लेखक और गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा ने शिक्षा के समृद्ध इतिहास और स्थानीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि बिहारी छात्र कितने प्रतिभाशाली हैं और अपने 50 वर्षों के शिक्षण अनुभव को रेखांकित किया। अपने भाषण के अंत में प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि हम सभी के लिए मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे. जन सुराज पिछले दो साल से काम कर रहे हैं. चुनाव आयोग ने हमें जन सुराज पार्टी मान लिया है. यहां हर कोई आया है जिसे लगता है कि बिहार को पटरी पर लाना उनकी जिम्मेदारी है.
मंगलवार को उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नतीजों ने राहुल गांधी की कांग्रेस का नेतृत्व करने की क्षमता पर लगा सवालिया निशान भी हटा दिया है, लेकिन उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है. करना पड़ेगा ठान ले तभी देश उन्हें अपना नेता स्वीकार कर सकेगा। उनके (गांधी के) समर्थक अब मानते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस को पुनर्जीवित किया जा सकता है, लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है। क्या देश ने उन्हें नेता मान लिया है? “मुझे ऐसा नहीं लगता।”