इंद्रहर! बघेलखंड का एक लोकप्रिय व्यंजन ही नहीं है, बल्कि यह उन परंपराओं को जीवंत रखने का जरिया भी है, जिसे इंद्रदेव को अर्पित करने के लिए बनाया जाता है। मान्यता है कि वर्षा ऋतु में अच्छी बारिश की कामना के लिए इंद्रहर बनाया जाता है और भगवान इंद्र को अर्पित किया जाता है। इंद्र भगवान इस व्यंजन को पसंद करते हैं और भक्तजनों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

पांच प्रकार की दालों से बनता है इंद्रहर
इस रेसिपी को बनाने के लिए बराबर मात्रा में अरहर, मूंग, उड़द, मसूर और चने की दाल का उपयोग किया जाता है। पांचों दालों को 6 से 8 घंटे भिगोने के बाद इसे काफी मोटा पीसा जाता है बनाने के लिए कम से कम एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। जिसके साथ ही हरी मिर्च, अदरक, करी पत्ता, धनिया पत्ती, साबुत धनिया, जीरा, लौंग, काली मिर्च, तेजपत्ता, बड़ी इलाइची, हींग, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला, नमक, दही, बेसन, हरी मिर्च अदरक का पेस्ट, राई, मेथी दाने, सरसों तेल आदि की आवश्यकता मात्रा के अनुसार होती है।

बनाने की विधि
इंद्रहर के लिए सभी दालों को धुलकर उनका छिलका निकाल दें। कुल मात्रा के तीन चौथाई भाग को दरदरा पीस लें, एक चौथाई मात्रा को बारीक पीसें। इस मिक्स दाल में सभी प्रकार के मसाले आदि मिलाकर अच्छी तरह से फेंटें ताकि उसे सॉफ्ट बनाया जा सके। पेस्ट को मिक्सिंग बाउल में डालें और उसमें जीरा, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च, धनिया पाउडर और स्वादानुसार नमक मिलाएं। दस मिनट तक फेंटने के बाद एक सपाट प्लेट से चिकना करें और इसी में बराबर मोटाई में फैला दें। ब्वॉयलर अथवा इडली पकाने वाले बर्तन में भाप में पकने तक पकाएं। ठंडा होने पर बर्फी अथवा अपनी पसंद के टुकड़ों में काटकर परोसने के लिए तैयार हो जाता है।

कढ़ी और सब्जी भी बनाएं
इंद्राहर को नाश्ते के रूप में सॉस और चटनी के साथ परोसा जाता है। उसके बचे हुए टुकड़ों को कढ़ी अथवा सब्जी की तरह ग्रेवी बनाकर तैयार कर सकते हैं। इसे सुबह के नाश्ते, दोपहर की कढ़ी और शाम को सब्जी बनाकर पूरे दिन की रेसिपी एक बार की तैयारी में बना सकते हैं। यह बघेलखंड में पसंद किया जाने वाले व्यंजन है जिसे इसी मौसम में खाया जाता है, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ स्वास्थ्य लाभ देने वाला और सब्जियां महंगी होने के दौरान उनकी कमी भी पूरी करता है।








