लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को जांच करने के लिए विभाग से नहीं लेनी पड़ेगी अनुमति

मध्य प्रदेश सरकार ने जांच एजेंसियों को फ्री हैंड दे दिया है। वो अब भ्रष्ट अफसरों की सीधे जांच कर सकेंगी। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को भ्रष्ट अफसरों की जांच करने के लिए संबंधित विभाग से परमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने पहले भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच करने वाली एजेंसियों के पर कतर दिये थे। लेकिन जब इस आदेश और प्रावधान की आलोचना हुई और इसके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई तो सरकार बैकफुट आ गई। सरकार ने फिर जांच एजेंसियों को भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ जांच करने के लिए फ्री हैंड दे दिया है।
सरकार से किया था सवाल: लेकिन प्रदेश सरकार के नए आदेश के तहत उनसे ये अधिकार छीन लिए थे। इसके तहत ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त जैसी एजेंसियां जांच के लिए शिकायतों को भ्रष्ट अधिकारियों के विभाग के पास भेज रही थीं। इसके बाद उसका विभाग ही तय करता कि मामले की जांच कराई जानी चाहिए या नहीं। एक्ट में बदलाव को लेकर लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता ने सरकार से पूछा था कि बदलाव से पहले अनुमति क्यों नहीं ली गई?