मध्य प्रदेश के सीहोर में श्रद्धा और समर्पण का ऐतिहासिक संगम उस समय यातायात की चुनौती में बदल गया जब कुबेरेश्वरधाम की विशाल कांवड़ यात्रा ने भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे को घंटों थमा दिया। लाखों शिव भक्तों के उत्साह और श्रद्धा से सजाए गए इस यात्रा मार्ग पर बुधवार तड़के से लेकर दोपहर तक वाहन रेंगते दिखे। प्रशासन की ओर से बनाए गए डायवर्जन प्लान और रूट मैनेजमेंट के दावों के बावजूद, हाईवे पर करीब 5 किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें जमी रहीं।
कांवड़ यात्रा की भव्यता बनी वजह
प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में हर साल आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा इस बार भी ऐतिहासिक रही। सीहोर के सीवन नदी तट से शुरू होकर कुबेरेश्वरधाम तक जाने वाली यह पूजा-पैदल यात्रा 11–12 किलोमीटर लंबी है, जिसमें विभिन्न राज्यों और शहरों से आए लाखों श्रद्धालु शामिल हुए। आयोजकों के मुताबिक, अनुमानित सात लाख श्रद्धालुओं का आगमन हुआ, जिससे शहर की होटल, लॉज, धर्मशालाएं सभी भर गईं। तमाम समाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय निवासियों ने यात्रियों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी भारी भीड़ में कई को स्टेशन, सड़कों व मैदानों पर रात बितानी पड़ी।

प्रशासन की तैयारी और चुनौतियां
प्रशासन ने भीड़ और यातायात प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए थे – डायवर्ट रूट, कंट्रोल रूम, सहायता शिविर और अतिरिक्त रेलगाड़ियां चलाई गईं। फिर भी, श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक रही कि सारे इंतजाम नाकाफी साबित हुए। भारी ट्रैफिक जाम के चलते कई वाहन चालक और आम नागरिक घंटों फंसे रहे। रेलवे ने 6, 7 और 8 अगस्त को उज्जैन–सीहोर के बीच स्पेशल ट्रेनें चलाईं ताकि श्रद्धालुओं को राहत मिल सके।
ट्रैफिक और भीड़ की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को भगदड़ में दो महिलाओं की जान भी चली गई, सुरक्षा प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए। भीड़ के दबाव को लेकर कलेक्टर और वरिष्ठ अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग में लगे रहे।

धार्मिक उल्लास के बीच प्रशासनिक सबक
कांवड़ यात्रा को भव्य बनाने के लिए पुष्पवर्षा, रंग-बिरंगी झांकियां, दर्जनों डीजे और सेवा शिविरों ने उत्सव का माहौल बनाया। हर दिशा में ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोष सुनाई दिए। महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग – हर कोई बाबा के जलाभिषेक में डूबा दिखा।








