छिंदवाड़ा के परासिया अस्पताल के टॉयलेट में मिली नवजात बच्ची के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बच्ची को मरा हुआ समझकर नहीं, बल्कि जिंदा ही कमोड में फ्लश किया गया था। रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि बच्ची की मौत डूबने से हुई। शॉर्ट पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, नवजात के फेफड़ों और पेट में पानी पाया गया। इसका साफ मतलब है कि कमोड में गिरने से पहले बच्ची की सांसें चल रही थीं। डॉक्टरों के मुताबिक, नवजात बच्ची की मौत पहले नहीं हुई थी, बल्कि फ्लश किए जाने के बाद डूबने से जान गई। पुलिस जांच में सामने आया है कि सोमवार को ओपीडी में 15 गर्भवती महिलाएं जांच के लिए आई थीं। इनमें से 14 महिलाओं की पहचान कर उनकी जानकारी वेरिफाई कर ली गई है । एक महिला संदिग्ध बनी हुई है, जिसकी पूरी जानकारी अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। पुलिस को आशंका है कि इसी महिला ने अस्पताल के टॉयलेट में बच्ची को जन्म दिया और सबूत मिटाने के लिए उसे कमोड में डालकर फ्लश कर दिया। इसके बाद वह अस्पताल से फरार हो गई।
अस्पताल प्रबंधन ने न रिकार्ड दिया, न पुलिस ने मांगा
छिंदवाड़ा / परासिया। परासिया अस्पताल सोमवार को मानवता को झंकझोर देने वाली घटना सामने आई थी। यहां कमोड में एक नवजात का शव मिला था। मंगलवार को पीएम में खुलासा हुआ कि नवजात के पेट और फेफड़े में पानी भरा था यानी प्रसव के वक्त बच्ची जीवित थी। नवजात की मौत की दोषी आरोपी मां की तलाश में जुटी पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है। दरअसल जांच तीन दिन बाद भी जस की तस है क्योंकि न तो अस्पताल प्रबंधन ने ओपीडी का रिकार्ड उपलब्ध कराया है। और न पुलिस ने रिकार्ड पाने कोई मशक्कत की। अभी पूरा मामला मर्ग जांच तक सीमित है।








