MP मध्य प्रदेश के गुना की एक अदालत ने एक महिला को बलात्कार का झूठा आरोप लगाने के आरोप में दो साल कैद की सजा सुनाई है। महिला ने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी और फिर अदालत में अपना बयान बदल दिया और कहा कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।
अदालत ने महिला के बयान को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को बरी कर दिया और उसे झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराने के आरोप में दो साल कैद की सजा सुनाई। अदालत ने महिला के पति के खिलाफ साजिश का मामला दर्ज करने को भी कहा है।
ठेकेदार पर लगाया था बलात्कार का आरोप
मामला करीब 8 साल पुराना है, तब पीड़िता ने 22 अप्रैल 2017 को म्याना थाने में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में पीड़िता ने बताया था कि उसका पति म्याना में एक ठेकेदार के पास मजदूरी करता है। ठेकेदार ने उसे धमकाकर उसके साथ बलात्कार किया था।
मामले की सुनवाई अदालत में चल रही थी। अपर सत्र न्यायाधीश ओपी रघुवंशी की अदालत में पीड़िता ने अपना बयान वापस ले लिया और यह भी कहा कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ओपी रघुवंशी की कोर्ट में पीड़ित महिला अपने बयान से मुकर गई और ये भी कहा कि उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ है।
अदालत ने पीड़िता द्वारा अपना बयान वापस लेने और झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने को गंभीरता से लिया और आरोपी को बरी करते हुए महिला को झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने पर दो साल की कैद और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने में उसका साथ देने वाले महिला के पति के खिलाफ भी साजिश का मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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अदालत ने महिला के बयान को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को बरी कर दिया और उसे झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराने के आरोप में दो साल कैद की सजा सुनाई। अदालत ने महिला के पति के खिलाफ साजिश का मामला दर्ज करने को भी कहा है।
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मामला करीब 8 साल पुराना है, तब पीड़िता ने 22 अप्रैल 2017 को म्याना थाने में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में पीड़िता ने बताया था कि उसका पति म्याना में एक ठेकेदार के पास मजदूरी करता है। ठेकेदार ने उसे धमकाकर उसके साथ बलात्कार किया था।
मामले की सुनवाई अदालत में चल रही थी। अपर सत्र न्यायाधीश ओपी रघुवंशी की अदालत में पीड़िता ने अपना बयान वापस ले लिया और यह भी कहा कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ओपी रघुवंशी की कोर्ट में पीड़ित महिला अपने बयान से मुकर गई और ये भी कहा कि उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ है।
अदालत ने पीड़िता द्वारा अपना बयान वापस लेने और झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने को गंभीरता से लिया और आरोपी को बरी करते हुए महिला को झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने पर दो साल की कैद और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने झूठा दुष्कर्म मामला दर्ज कराने में उसका साथ देने वाले महिला के पति के खिलाफ भी साजिश का मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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