MP – ब्लैक फंगस ने दी दस्तक, मध्यप्रदेश में पांच मौतें, इंजेशन बाजार से गायब

नई दिल्ली/भोपाल। देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच कोविड-19 मरीजों और महामारी से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के खतरे ने चिंता बढ़ा दी है. यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं। इसके अलावा यह महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उार प्रदेश, बिहार और हरियाणा भी पहुंच चुका है। पंजाब में लैक फंगस की वजह से पांच मरीजों की आंख निकालनी पड़ी। इसके साथ ही रेमिडिसिवर की तरह लैक फंगस का इंजेक्शन भी बाजार से गायब हो गया है। लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं और अब तक 100 से ज्यादा लोग इससे पीडि़त हो चुके हैं। राज्य सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है और अस्पतालों में अलग वार्ड बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली दवा की 5,000 शीशियों की खरीद की है।
कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी मप्र में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। पहले मरीज रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर परेशान थे। अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। दलाल सक्रिय होने से लैक में महंगे दामों पर इंजेक्शन मिल रहा था। इससे प्रदेश में नकली इंजेक्शन की कालाबाजारी खूब हुई। अब ऐसी ही स्थिति ब्लैक फंगस के मरीज बढऩे पर हो गई है, जरूरी इंजेक्शन बाजार से गायब हो गया है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल, इंदौर के एमवाय अस्पताल सहित प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में लैक फंगस के इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन नहीं मिल रहा है, ऐसे में अब रेमडेसिविर की तरह ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की भी कालाबाजारी में दलाल सक्रिय होने की जानकारी सामने आ रही है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले सामने आते ही बीमारी की दवा का भी टोटा शुरू हो गया है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती मरीजों के एंटी फंगस लाइपोसोमल एफोटेरिसिन-बी या एफोटेरिसिन-बी दोनों ही इंजेक्शन 10 दिनों से उपलध नहीं है।