SINGRAULI : सिंगरौली में लगातार बढ रही भिखारियो की संख्या, जानिये वजह ?

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.

SINGRAULI : सिंगरौली जिले में लगातार भिखारियो की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन इसके पीछे की वजह जानने के लिये जिला प्रशासन चिंतित नही दिख रहा है।
हलाकि कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही SINGRAULI जिला प्रशासन की पोल खुलते हुये दिख रही है क्योकि बीते दिन सिंगरौली जिला भिक्षावृत्ति मुक्त था इसके लिये अभियान भी चलाये गये थे, लेकिन इसी बीच इस खबर से SINGRAULI जिला प्रशासन चिंतित नजर आने लगेगा।
स्वच्छता में बेहतर स्थान बनाने में जहां SINGRAULI जिला हमेशा से प्रयासरत रहा है तो वही भिक्षावृत्ति अब चिंता की बजह बन जायेगा। यहा भिक्षावृत्ति को कुछ परिवार अपना आय का साधन मान चुके है, हलाकि भिक्षावृत्ति में बच्चे भी शामिल है ।
हलाकि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं श्रम विभाग की तरफ से समय समय पर कई बार कार्यवाही भी की जाती है बावजूद अब तक इसे खत्म नही किया जा सका है।
01 – हजारो रूपये है कमाई
जब हमारी टीम ने भिक्षावृत्ति से जुडे लोगो से चर्चा की तो यह पता चला कि इससे जुडे लोग औसत एक हजार रूपये लगभग प्रतिदिन कमाते है, हलाकि यह राशि सिर्फ एक आकडा है, लेकिन कही न कही नगर निगम की उदासिनता के कारण भिक्षावृत्ति एक बार फिर रफ्तार पकड रहा है।
02 – नही लेते 2 से 5 रूपयेे
हमारी टीम ने जमीनी हकीकत जानने का प्रयास की तो यह पता चला कि कुछ भिक्षा मागने वाले लोग एक रूपये से लेकर 5 रूपये तक नही लेते वह सिर्फ 10 रूपये लेते है, अगर कोई कम रूपये देता है तो वह पैसा वापस कर देते है।
03 – राज्यों की क्या है स्थिति
अगर राज्यवार स्थिति की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में, मध्यप्रदेश में 28 हजार और राजस्थान में करीब 26 हजार
04 – भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे
भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में चोर भी शहर में घूम रहे हैं वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.
