MP में अच्छे डॉक्टरों का आभाव, मेडिकल कालेजों में प्रोफेसरों का संकट
भोपाल : MP प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों का टोटा बना हुआ है। सूबे में 14 शासकीय मेडिकल कॉलेज और एक डेंटल कॉलेज में प्रोफेसरो के पद खाली हैं। प्रोफेसरों का अभाव होने के कारण मेडिकल एजुकेशन प्रभावित हो रही हैं। वहीं शासन दूसरी तरफ एक के बाद एक मेडिकल कालेज खोलता चला जा रहा है। इससे सूबे में अच्छे डॉक्टर का अभाव बढ़ता जा रहा है। इससे अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं। यहां मरीजों को विशेषज्ञों की सुविधा नहीं मिल रही है।
MP सरकारी मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज और मेंटल हॉस्पिटल के लिए कुल दो हजार 917 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से दो हजार 96 पद भरे हुए हैं और शेष 821 पद खाली हैं। नए मेडिकल कॉलेजों में भी रिक्तियां भरने का संकट बरकरार है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ डॉक्टरों को निजी की तुलना में कम वेतन और सुविधाएं मिलती हैं। नियमानुसार वेतन और भत्ते तक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए मेडिकल कॉलेजों में सालों साल तक पद खाली पड़े रहते हैं।
डेंटल कॉलेज और मेंटल हॉस्पिटल में संकट
इंदौर ( MP ) के एक मात्र सरकारी डेंटल कॉलेज में भी छह एसोसिएट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट प्रोफेसर का पद खाली है। सरकारी मेंटल हॉस्पिटल में तो और ज्यादा संकट है। नए मेडिकल कॉलेजों में सबसे ज्यादा समस्या बनी हुई है। जैसे छिंदवाड़ा में 143 में से 63, शहडोल में 135 में से 52, शिवपुरी में 132 में से 53 पद खाली पड़े हुए हैं। भोपाल, जबलपुर और इंदौर के कॉलेजों में प्रोफेसर के 10-10 पद खाली हैं।