राहुल गांधी को गुल्लक देने वाले बच्चों के मां-पिता ने खुदकुशी, ईडी ने प्रताड़ित किया

आष्टा के कारोबारी मनोज परमार और उनकी पत्नी नेहा ने शुक्रवार सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। गुरुवार शाम पूरा परिवार नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी के दर्शन करके लौटा था।
बच्चों को मकान में सुलाकर दंपति दूसरे मकान में गए और फांसी लगा ली। 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनोज के इंदौर और आष्ठा स्थित ठिकानों पर छापा मारा था।
फर्जी दस्तावेजों से 6 करोड़ का लोन लेने के मामले में सीबीआई जांच चल रही थी। मनोज (45) और उनकी पत्नी नेहा शांति नगर में शगुन गार्डन के सामने वाले मकान में फंदे पर लटके मिले। मृतक के चचेरे भाई राजेश परमार ने बताया कि शाम 7 बजे मां बगलामुखी के दर्शन कर परिवार लौटा था। मनोज का बड़ा बेटा जतिन रात में पानी पीने के लिए उठा।
भाई बोला- कहता था बार-बार मरने से अच्छा है एक ही बार मर जाऊं
• मृतक मनोज के चचेरे भाई राजेश परमार ने बताया कि 5 दिसंबर को ईडी की कार्रवाई के बाद से मनोज परेशान रहने लगा था। वह कहता था कि बार-बार मरने से अच्छा है एक ही बार मर जाऊं।
मृतक के बेटे ने बताया कि ईडी टीम जब रेड डालने आई थी तो उसके असिस्टेंट डायरेक्टर संजीत साह ने काफी प्रताड़ित किया था। वो कह रहे थे कि बीजेपी ज्वाइन कर लो तो बच जाओगे ।
फर्जी दस्तावेजों से 6 माह में 18 लोन लेने के केस दर्ज हुए
मनोज पहले ऑटो पार्ट्स की दुकान चलाते थे। 2017 में पीएम स्वरोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत सर्विस सेंटर व रेडीमेड कपड़ों की फैक्टरी के लिए बैंक से 6 करोड़ का लोन लिया।
जांच में आया कि 6 माह में 18 फर्जी लोन लिए थे। मामले में 2023 में उसे 7 साल की सजा सुनाई गई। कुछ दिन बाद जमानत मिल गई। इसकी जांच सीबीआई भी कर रही है।
