उज्जैन में शिप्रा नदी में कार गिरने से बड़ा हादसा हुआ। थाना प्रभारी और सब-इंस्पेक्टर के शव मिले, जबकि महिला आरक्षक अब भी लापता है। 44 घंटे से रेस्क्यू जारी है।
उज्जैन में शनिवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया है। शिप्रा नदी में एक कार पुल से नीचे गिर जाने की घटना के बाद से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक दो पुलिस अधिकारियों के शव बरामद किए जा चुके हैं जबकि महिला आरक्षक का पता नहीं चल पाया है।
हादसे की शुरुआत
शनिवार रात करीब नौ बजे प्रत्यक्षदर्शियों ने देखा कि एक कार अचानक शिप्रा नदी में समा गई। इस घटना की खबर मिलते ही पुलिस बल और बचाव टीमें मौके पर पहुंचीं। शुरुआती घंटों में न कार का सुराग मिला और न ही उसमें सवार लोगों का।
रेस्क्यू में सामने आया सच
रविवार सुबह जब खोजबीन दोबारा शुरू हुई, तो पता चला कि डूबने वाली कार में महाकाल थाना प्रभारी अशोक शर्मा, सब-इंस्पेक्टर मदनलाल निनामा और महिला आरक्षक आरती पाल सवार थे। रविवार को थाना प्रभारी अशोक शर्मा का शव घटनास्थल से पांच किलोमीटर दूर मिला। आज शाम करीब पांच बजे सब-इंस्पेक्टर मदनलाल निनामा का शव भी नदी से बरामद किया गया। लेकिन महिला आरक्षक का अभी तक कोई अता-पता नहीं चल पाया है।
सीसीटीवी फुटेज से मिली पुष्टि
टीम को आज दोपहर घटना का अहम सबूत मिला। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि कार ब्रिज से फिसलकर सीधे नदी में गिरी। इसके अलावा वाहन का आगे का हिस्सा, जिस पर नंबर प्लेट लगी थी, भी नदी से बरामद किया गया है।
44 घंटे से जारी रेस्क्यू अभियान
मौसम और बढ़े जलस्तर के कारण बचाव अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। पिछले 44 घंटे से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड और नगर निगम की टीमें लगातार तलाशी अभियान में जुटी हुई हैं। लगभग 100 से अधिक सदस्यों वाली टीमें नदी की तलहटी में खोज कर रही हैं, लेकिन तेज बहाव और पानी ने ऑपरेशन को बेहद कठिन बना दिया है। गोताखोर कैमरा तकनीक और चुम्बक की मदद ले रहे हैं, पर अभी तक कार का पूरा ढांचा नहीं निकाला जा सका है।
प्रशासन की चिंता और परिजनों का दर्द
सीएसपी पुष्पा प्रजापति ने हादसे को बेहद दुखद बताते हुए कहा कि महिला आरक्षक को खोज निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। जिले के शीर्ष अधिकारी लगातार खुद घटना स्थल पर मौजूद रहकर ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। वहीं, मृत अधिकारियों के परिवारों में गहरा शोक व्याप्त है।








