बिहार के पूर्णिया में दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। यहां झाड़-फूंक के तीन दिन बाद एक बच्चे की मौत होने पर ग्रामीणों ने डायन के शक में एक ही परिवार के 5 लोगों से मारपीट की, फिर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया।
इसके बाद सभी शवों को घर से दो किमी दूर तालाब में फेंक दिया। यह घटना मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के टेटगामा में रविवार देर रात हुई । मरने वालों में बाबू लाल उरांव (50), उनकी पत्नी सीता देवी (48), मां कातो देवी (65), बेटा मंजीत कुमार ( 25 ) और बहू रानी देवी ( 23 ) शामिल हैं।
बताया जाता है कि बच्चे की मौत के बाद रविवार रात गांव में पंचायत हुई थी। इसमें यह तालिबानी फैसला सुनाया गया। पंचायत में गांव के 250 से 300 लोग शामिल थे। इस घटना के एकमात्र चश्मदीद बाबू लाल उरांव के बेटे सोनू कुमार ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई।
घटना की जानकारी मिलने के बाद डीएम अंशुल कुमार व एसपी स्वीटी सेहरावत समेत तीन थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने सभी शवों को तालाब से बाहर निकलवाया।
सदर एसडीपीओ पंकज कुमार ने बताया कि बाबूलाल उरांव का परिवार झाड़-फूंक का काम करता था। गांव के रामदेव उरांव के बच्चे की तीन दिन पहले मौत हो गई थी। वह कुछ दिनों से बीमार था। उसे लेकर घर के लोग बाबू लाल उरांव के यहां गए थे। वहां झाड़-फूंक हुआ । उसके बाद उसकी मौत हो गई।
दादी के साथ-साथ पिता, माता व भाई-भाभी की मौत को करीब से देखने वाला किशोर सोनू कुमार किस तरह रात के अंधेरे में चार किलोमीटर का सफर किया, उसे याद कर वह अब भी सिहर उठता है। अपने ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाकर मार डालने की वारदात अपनी आंखों से देख चुका सोनू जब नानी के घर पहुंचा था तो लगा जान बच गई।
वहां से भागकर गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद ननिहाल वीरपुर पहुंचने में लगातार वही भीड़ पीछे नजर आ रही थी। किशोर को खुद अपना पदचाप डरा रहा था। यह चार किलोमीटर का सफर 40 कोस पर भारी था। किशोर ने बताया कि मारपीट तो उनके साथ भी की गई, लेकिन बंधक बनाने के समय उसे वहां से दूर हटने का मौका मिल गया।
फिर वह दूरी बनाते हुए अपने परिवार को घसीट कर ले जाते देखा। सभी को कुछ दूरी पर बांधकर सभी को जिंदा जलाकर मार डाला गया। उसके बाद सभी के लाश को वहां से एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर दफना दिया गया। रात के करीब 12 बज रहे होंगे। वह वहां से कहीं खिसकना नहीं चाहता था, क्योंकि आवाज होने का खतरा था।
थानाध्यक्ष उत्तम कुमार ने कहा कि 5 लोगों की हत्या के बाद शव को छिपा दिया गया था. इस हत्या की घटना को 50 से अधिक लोगों ने मिलकर अंजाम दिया है. जले हुए शव को गांव के ही जलकुंभी में छुपा दिया गया था. अब पांचों शव को बरामद कर लिया गया है. बताया जाता है कि गांव के रामदेव उरांव का बेटा बीमार रहता था. ग्रामीणों को शक था कि सीता देवी डायन है और उसी के कारण वह बीमार रहता है.
चश्मदीद की जुबानी….. आंखों के सामने ही मैंने परिवार को जिंदा जलते देखा, भागकर जान बचाई
रविवार रात करीब 10:00 बजे गांव के कई लोग मेरे घर पर आए। उन्होंने सबसे पहले मेरे पिता बाबूलाल उरांव को पकड़कर
बुरी तरह पीटा। फिर मेरी भाभी, भाई, मां और दादी के साथ मारपीट की। रात करीब 1:00 बजे मेरे पिता, मां, भाई, भाभी और दादी को बांध दिया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। मैंने अपनी आंखों के सामने सभी को जिंदा जलते देखा। वहां मौजूद एक महिला ने मुझसे कहा कि तुम यहां से भाग जाओ नहीं तो तुझे भी जिंदा जला देंगे। इसके बाद मैं वहां से (सोनू कुमार ने जैसा भास्कर को बताया)
भाग गया।
रजीगंज पंचायत के टेटगामा गांव में एक व्यक्ति के बेटे की मौत हो गई। गांव के लोगों ने इसे डायन की करतूत समझ कर पहले पांचों लोगों से मारपीट की, फिर सभी को जिंदा जला दिया। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उस ट्रैक्टर को भी जब्त कर लिया है जिसपर सभी शवों को तालाब ले जाया गया था। उसके मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। – प्रमोद कुमार मंडल, डीआईजी, पूर्णिया रेंज







December 7, 2025