महाराष्ट्र नासिक में 45 वर्षीय महिला पर संतानों को बेचने का आरोप, आशा कार्यकर्ता के अलर्ट पर जांच तेज। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी जुटी, जानें पूरी कहानी। महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर के आदिवासी इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना ने समाज को झकझोर दिया है। 45 वर्षीय बच्चूबाई हंडोगे नामक महिला पर अपनी कई संतानों को आर्थिक मजबूरियों के चलते बेचने का गंभीर इल्जाम लगा है। सामाजिक कार्यकर्ता भगवान माधे के खुलासे के बाद पुलिस ने परिवार को हिरासत में ले जांच तेज कर दी।
संकट की शुरुआत
अक्टूबर 2025 में कम वजन के नवजात का जन्म होने पर आशा कार्यकर्ता ने घर का दौरा किया। महिला ने कबूल किया कि बच्चे को 10,000 रुपये में सौंप दिया। इससे पहले सोशल वर्कर्स ने 14वीं डिलीवरी के बाद लापरवाही देखी और सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया। दो महीने बाद नवजात लापता होने की आशंका ने अलार्म बजा दिया।
जांच के चौंकाने वाले नतीजे
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बच्चूबाई के 12 बच्चे जीवित हैं—सात लड़के, पांच लड़कियां, जिनमें दो शादीशुदा। एक की मौत हो चुकी, तीन अन्य को अलग परिवारों में भेजा गया। घर पर चार बच्चे पाए गए। पुलिस ने ठाणे, शाहपुर जैसे क्षेत्रों में टीमें तैनात कीं। एसपी बालासाहेब पाटिल ने छह सदस्यीय चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी।

गरीबी का काला चेहरा
परिवार के पास 12 एकड़ बंजर, पथरीली जमीन है, जो आजीविका नहीं दे पाती। 2014 की परिवार नियोजन सर्जरी नाकाम रही। महिला का दावा है कि संतानों को रिश्तेदारों को सौंपा, बेचा नहीं—दूध तक न होने से मजबूरी हुई। सभी को नासिक चिल्ड्रन होम स्थानांतरित किया गया।
आगे की राह
जिला प्रशासन ने गहन तहकीकात के आदेश जारी किए। यह वाकया आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और आर्थिक असमानता उजागर करता है। सच्चाई सामने आने पर कड़ी कार्रवाई का वादा। समाज को बाल सुरक्षा पर सोचने का समय।








