पटना। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा हत्याकांड ने बिहार की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। शनिवार की देर रात पटना पुलिस ने जदयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह को उनके बेढ़ना स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई इतनी गोपनीय और व्यापक थी कि डेढ़ सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी रात में उनके घर के चारों ओर तैनात कर दिए गए थे।
इस ऑपरेशन का नेतृत्व एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने किया। गिरफ्तारी के वक्त अनंत सिंह प्रचार से लौटे थे और उनके समर्थक मौके पर भारी संख्या में मौजूद थे। सिंह को पटना लाया गया, जहां उन्हें पूछताछ के लिए विशेष दस्ता द्वारा हिरासत में रखा गया है।
हत्याकांड पर कार्रवाई ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया
अनंत सिंह की गिरफ्तारी 30 अक्टूबर को आरजेडी नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद हुई हिंसक झड़प की जांच का हिस्सा है। पुलिस के मुताबिक, घटना के समय सिंह स्वयं वहां मौजूद थे और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान उनके खिलाफ गए हैं। इस मामले में उनके दो सहयोगी – मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम – को भी पकड़ा गया है।
डीएम डॉ. त्यागराजन और एसएसपी ने संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि चुनाव के दौरान हुई हिंसा को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है और कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वालों पर सख्ती जारी रहेगी। उनके अनुसार, सभी वैध हथियारों को जमा कराने का आदेश जारी किया गया है ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।
चुनाव आयोग का एक्शन, तेजस्वी का हमला
मामले की संवेदनशीलता देखते हुए चुनाव आयोग ने भी तत्काल कदम उठाए। एसडीएम, ग्रामीण एसपी और एसडीपीओ स्तर के तीन अधिकारियों को हटाने के आदेश जारी किए गए, जबकि दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
विपक्ष ने इस पर सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर सवाल दागे। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “चुनाव आयोग खामोश क्यों है जब नामजद आरोपी खुलेआम चुनाव प्रचार कर रहा था?” तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ गठबंधन प्रशासनिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने बढ़ाई सनसनी
दुलारचंद यादव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गंभीर चोटों की पुष्टि हुई है। छाती की कई पसलियां टूटी पाई गईं और आंतरिक रक्तस्राव से उनकी मृत्यु हुई। पुलिस इसे चुनावी रंजिश से जुड़ा अपराध मान रही है। अब सवाल यह है कि क्या यह गिरफ्तारी मोकामा की राजनीतिक तस्वीर बदल देगी या चुनावी मैदान में नया तनाव पैदा करेगी।








