07 दिन से बोरबेल में गिरी चेतना, परिजनों का बुरा हाल, अधिकारी भी चुप, जानिए मामला

ये maang tika design चौड़े माथे पर खूब जंचेंगे

जयपुर. कोटपूतली में तीन साल की मासूम चेतना की जिंदगी 7 दिन से बोरवेल में फंसी है. ऐसे में पानी या भोजन की एक बूंद भी नहीं मिली. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बोरवेल में फंसी चेतना की स्थिति क्या होगी? चेतना की स्थिति पर अधिकारी भी चुप हैं। इधर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.

हम आपको बता दें कि चेतना को बोरवेल से निकालने के लिए रविवार को लगातार 7वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. रैट माइनर टीम के 10 जवान पिछले 26 घंटों से 170 फीट की गहराई में 10 फीट लंबी सुरंग खोदने में जुटे हैं. लेकिन अभी तक मात्र चार फीट ही खुदाई हो सकी है। अभी 6 फीट की सुरंग और खोदी जानी है. क्षैतिज सुरंग बनाने के बाद लड़की को बाहर निकाला जाएगा.

 

ये Nath Design दुल्हनों के लिए हैं बेस्ट

 

 

142 घंटे से बोरवेल में चेतना

23 दिसंबर को दोपहर 2 बजे कीरतपुरा की ढाणी बड़ियावाली में तीन साल की चेतना खेलते समय 150 फीट नीचे बोरवेल में गिर गई। बच्ची करीब 142 घंटे से भूखी-प्यासी बोरवेल में फंसी हुई है.

5 दिन से बच्ची की कोई हलचल नहीं है

पिछले पांच दिनों से लड़की की कोई हरकत कैमरे में नजर नहीं आ रही है. इसे लेकर परिजन व ग्रामीण चिंतित हैं। हर कोई बस यही सोच रहा है कि लड़की कैसी होगी.

प्लान बी पर काम

जब प्लान ए काम नहीं आया तो प्लान बी के तहत 25 दिसंबर को दूसरे बोरवेल की खुदाई शुरू हुई और सुरंग का निर्माण शुरू हुआ. लेकिन, 170 फीट तक खुदाई के बाद जमीन पथरीली और सख्त है, जिससे सुरंग तोड़ना मुश्किल हो गया है।

हर घंटे टीम बदली जा रही

सुरंग निर्माण में उतारे गए टीम को हर घंटे बदला जा रहा है। ड्रिल मशीन के साथ एक घंटे लेटकर खुदाई करने से होने वाली थकान और ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण टीम को हर घंटे बदला जा रहा है। चट्टान सख्त होने के कारण सुरंग तोड़ने में समय लगा। अभी तक हालात अनुकूल नहीं होने के कारण रेस्क्यू में कई बाधाएं आ रही हैं.

चिंतित परिवार और आम लोग
बच्ची के अब तक बोरवेल से नहीं निकलने से परिजन और आम लोग चिंतित हैं. प्लान ए के बाद प्लान बी शुरू करने में देरी भी सवाल उठाती है. लोग कहते हैं, अगर प्लान ए और बी एक ही समय पर शुरू होता, तो लड़की के पास बाहर निकलने का समय लेट नहीं होता।

07 दिन से बोरबेल में गिरी चेतना, परिजनों का बुरा हाल, अधिकारी भी चुप, जानिए मामला

 

Exit mobile version