Mahakumbh 2025 : प्रयागराज: गंगा-यमुना के पावन तट पर लगने वाला महाकुंभ मेला धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के लिए प्रसिद्ध है। पौष पूर्णिमा के अवसर पर 13 जनवरी से शुरू हो रहे इस महाकुंभ में लाखों साधु-संत और श्रद्धालु जुट रहे हैं। इन सबके बीच 9 वर्षीय नागा साधु गोपाल गिरी चर्चा में हैं।
गोपाल गिरी जी महाराज चापा, हिमाचल प्रदेश से आते हैं, वो श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के बाहर कड़ाके की सर्दी में बिना कपड़ों के भस्म लगाए तपस्या और ध्यान में लीन रहते हैं. तीन वर्ष की आयु में उनके माता-पिता ने उन्हें उनके गुरु को दान कर दिया। वह चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और अब पूरी तरह से संत का जीवन जी रहे हैं।
पहले तो मुझे घर की याद आती थी
गोपाल गिरी जी महाराज ने बातचीत में बताया कि महाकुंभ के बाद वह पढ़ाई फिर से शुरू करेंगे. संन्यास के बाद उनकी शिक्षा में रुकावट आ गई थी, लेकिन अब वे अपनी पढ़ाई गुरुकुल के माध्यम से पूरी करेंगे. मूलतः बरेली जिले के अकबरपुर गांव के निवासी गोपाल गिरी ने कहा कि शुरू में उन्हें घर की बहुत याद आती थी, लेकिन गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन ने उन्हें मोह-माया से दूर कर दिया.
दैनिक दिनचर्या और आध्यात्मिक अभ्यास
गोपाल गिरी जी महाराज का दैनिक जीवन बहुत नियमित और अनुशासित है। वह ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं और अपने दैनिक कार्यों के बाद अपने गुरु के साथ भजन और मंत्र का अभ्यास करते हैं। उन्होंने हवन मंत्र भी सीखा है और अपनी आध्यात्मिक साधना को आगे बढ़ा रहे हैं।
तलवारबाजी और गुरु दीक्षा
महाकुंभ के दौरान गोपाल गिरी महाराज तलवार कला का प्रदर्शन करते हुए गुरु दीक्षा भी ले रहे हैं। उनकी कला और अलौकिक तपस्या उन्हें भक्तों के बीच विशेष पहचान दिला रही है।

SINGRAULI – नए साल का जश्न मानाने घर से निकले थे 04 दोस्त, सेफ्टी टैंक में मिला एक साथ 04 शव
अपने आस पास के खबरों के लिए क्लीक करें
फैशन डिजाइनिंग के लिए क्लीक करें








