मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उनके विवादित बयान पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
विजय शाह ने एक कार्यक्रम में “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए कहा था कि जिन लोगों ने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, मोदी जी ने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करा दी। इस बयान के बाद विवाद बढ़ गया और विपक्ष ने विजय शाह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कोर्ट का निर्देश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि मंत्री के बयान से भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 और 192 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध बनता है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया है कि वे विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करें और यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो DGP के खिलाफ अवमानना कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश
उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया है कि विजय शाह के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए। जस्टिस अतुल श्रीधरन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को भी सख्त निर्देश जारी किए हैं।
अदालत का आदेश
अदालत ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में FIR दर्ज होनी ही चाहिए। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब विजय शाह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
महत्वपूर्ण निर्देश
अदालत के इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि कानून के तहत सभी व्यक्तियों के लिए समान कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी पद या स्थिति में हों। अदालत के इस आदेश का पालन करना राज्य के लिए आवश्यक होगा।
आगे की कार्रवाई
अब देखना यह है कि राज्य पुलिस इस आदेश के पालन में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है और विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने की प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाती है। अदालत के इस आदेश से न्यायपालिका की भूमिका और कानून के शासन को मजबूत करने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।







