उत्तराखंड के पर्वतीय जनपद उत्तरकाशी में मंगलवार दोपहर एक भयावह प्राकृतिक आपदा ने धराली कस्बे की रफ्तार थाम दी। करीब डेढ़ बजे, खीर गंगा नदी की धारा अचानक मलबे समेत कस्बे की ओर उमड़ी — देखकर हर कोई सिहर उठा। राहत बटालियनों के पहुंचने तक, नदी कई घरों, दुकानों और रास्तों को अपने साथ बहा ले गई, जिससे कम-से-कम 10 लोगों की जान चली गई और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।

मलबे की नदी, बिखरी जिंदगियां
आनन-फानन में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया। प्रशासनिक दल हालांकि अब तक नुकसान का सटीक आकलन नहीं कर सके हैं, लेकिन धराली की गलियों में पसरा सन्नाटा तबाही का मूक गवाह है। घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना जताई और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटनास्थल का हाल जाना।

क्या कहता है मौसम और भूगोल?
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अधिकारी जहां सिर्फ हल्की से मध्यम वर्षा की पुष्टि कर रहे हैं, वहीं स्थानीय निवासी व पत्रकार बताते हैं कि इलाके में दो दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही थी, जिसके रिकॉर्ड में भले ही फर्क हो, लेकिन नदी ने तांडव मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जानकारों के मुताबिक, खीर गंगा नदी बरसाती होने के साथ वैज्ञानिक रूप से ऐसी मलबाखोर नदी है, जो थोड़ी-सी बरसात में भी अपने मार्ग से भारी गाद और पत्थर लाकर तबाही मचाने का इतिहास रखती है।

बचाव के उपाय, और प्रशासनिक तैयारियां
स्थानीय लोगों की सालों से मांग रही है कि केदारनाथ की तर्ज पर प्रोटेक्शन वॉल बने, ताकि बाढ़ से रक्षा की जा सके। लेकिन कुछ भूगर्भ विशेषज्ञों की मानें, तो इलाके की वर्तमान बसावट नदी के पुराने मलबे पर ही है, जिससे ऐसे त्वरित आपदाओं से बचाव लगभग असंभव है।







