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Nose ring design : नथ और पिछौड़ कुमाऊंनी महिलाओं के लिए क्यों खास हैं, इसका महत्व जानिए

Nose ring design : उत्तराखंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता बल्कि अपनी अनूठी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। रीति-रिवाजों से विश्वास, यहां सब कुछ अलग है। खासतौर पर उत्तराखंड के कपड़े पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

यहां की बड़ी-बड़ी नथें, नाक तक सिंदूर लगाती हैं औरतें पीछे मुड़कर बेहद खूबसूरत दिखती हैं। आपने उत्तराखंड की महिलाओं  ( Women ) को पीला केसरिया लाल बिंदीदार दुपट्टा पहने देखा होगा। इस दुपट्टे को पिछोड़ कहते हैं।

नथ और पिछो को देखने से पता चलता है कि ये पहाड़ी औरतें हैं। यह कुमाऊं की महिलाओं का गौरव है। हार और नथ पहनकर हर महिला बेहद खूबसूरत ( Beautiful ) लगती है। उसका चेहरा रोशन हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कुमाऊंनी महिलाओं के लिए क्यों खास है आज हम आपको इस लेख में पिछोर और नथ के महत्व के बारे में बताएंगे।

Nose ring design : पिछौड़ शुभ माना जाता है

जिस तरह माना जाता है कि किसी खास मौके पर काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, उसी तरह कुमाऊं की महिलाएं हर शुभ अवसर या खास मौके पर पिछोर पहनती हैं। उत्तराखंड में पिछोर को शुभ माना जाता है। विशेषकर  ( especially )विवाह के समय पीथ धारण करना अनिवार्य होता है। चूँकि विवाह एक बहुत ही शुभ घटना है, कुमाऊँनी महिलाएँ इस दिन को पवित्र करने के लिए इस पोशाक को पहनती हैं।

Nose ring design : पिछौड़ केवल विवाहित स्त्रियां ही धारण करती है

पिछो उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में केवल विवाहित महिलाओं ( Women ) द्वारा पहना जाता है। पहली बार हर लड़की अपनी शादी के दिन पिछौड़ा पहनती है। फेरे से पहले लड़की का लहंगा दुपट्टा पीछे पहना जाता है। उसके बाद हर त्योहार में पीथ पहनना अनिवार्य हो गया। दूसरे शब्दों में, यह कुमाऊं की प्रथा है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि इसके बिना पहाड़ी शादी अधूरी है।

Nose ring design : अपने डिजाइन और रंगों के लिए प्रसिद्ध है

पीछे का रंग पीला है, जिस पर लाल रंग से डिजाइन की गई है। चौड़ी सीमाएँ भी हैं। पीठ के मध्य भाग में स्वस्तिक बना होता है। वहीं किनारों पर सूर्य, चंद्र, शंख, घंटा आदि की आकृतियां ( shapes ) बनाई जाती हैं। पहले के दिनों में आंगन को पीला रंग देने के लिए केलमोरा की जड़ों को पीसकर रंग तैयार किया जाता था।

किलमोरा उत्तराखंड में पाया जाने वाला एक स्थानीय फल है। दूसरी ओर कच्ची हल्दी में नींबू निचोड़कर लाल रंग किया जाता है और उस पर शहद छिड़का जाता है। हालांकि, अब चीजें बदल गई हैं। अब इसे बनाने से लेकर रंगने तक की हर प्रक्रिया  ( Process )  बदल गई है।

Nose ring design : गढ़वाली दुल्हनों के पिछौड़ का चलन

पहले के जमाने में सिर्फ कुमाऊंनी महिलाएं ( Women ) ही पिछोर पहनती थीं। लेकिन समय बीतने के साथ गढ़वाल की शादियों में पिठ्ठी पहनने का रिवाज शुरू हो गया है। पुराने जमाने में पीछे मुड़कर देखने पर पता चलता था कि शादी किसकी है? इसका मतलब है कुमाऊँनी विवाह या गारोवाली। पिचौ के डिजाइन और रंग की वजह से नई दुल्हनें अब इसे अपनी शादियों में पहनना शुरू कर रही हैं।

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Nose ring design : नाक की नोक

Nose ring design : कुमायूं नाथ की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 21वीं सदी में भी ज्यादातर लड़कियां कुमायूं नाथ के कपड़े पहनना पसंद करती हैं। यह नथ सबसे अलग है क्योंकि इसके डिजाइन ( Design ) बहुत खूबसूरत हैं। हालाँकि, कुमाऊँनी के अलावा गरोवाली नथ भी हैं।

दोनों में कई अंतर हैं। कुमाऊं की महिलाओं में नथ का इतना महत्व है कि वे इसे शादी से लेकर बच्चे के मुंडन तक हर खास मौके पर पहनती हैं। साथ ही केवल विवाहित महिलाएं ( Women ) ही नथ धारण करती हैं। दुल्हन के चाचा शादी के तोहफे के रूप में सोने की बाली देते हैं।

Nose ring design : नथ और पिछौड़ कुमाऊंनी महिलाओं के लिए क्यों खास हैं, इसका महत्व जानिए
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सुलेखा साहू

समाचार संपादक @ हुड़दंग न्यूज (दबंग शहर की दबंग खबरें)समाचार / लेख / विज्ञापन के लिए संपर्क कीजिये-  hurdangnews@gmail.com

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