सावन पूर्णिमा के मौके पर पूरे दिन रहेगा शुभ मुहूर्त, रक्षाबंधन पर अशुभ फल देने वाली भद्रा का नहीं पड़ेगा साया

रक्षाबंधन पर्व बस एक पखवाड़ा दूर है। आगामी 22 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार बहन-भाई के इस अनुपम पर्व पर अशुभ फल देने वाली भद्रा बीच में नहीं आएगी। रक्षाबंधन सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दिन में 11 घंटे 16 मिनट में कई शुभ मुहूर्त में बहन भाइयों की कलाई पर राखियां बांध सकेंगी। शोभन योग-धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बनेगा। बहनों की ओर से भाई को रक्षासूत्र एवं गुरु द्वारा शिष्य को किया गया रक्षा विधान पूर्णत: सफल एवं शुभ फलप्रद रहेगा। इस शुभ संयोग में पीले एवं सफेद धागे से बने रक्षा सूत्र को बांधने से स्वास्थ्य में लाभ, शिक्षा में प्रगति, संतान सुख, गुरुजन से सहयोग आदि शुभ फल में वृद्धि होगी।
ज्योतिषियों ने बताया कि इस बार 22 अगस्त को रक्षाबंधन एवं श्रावणी कर्म किया जाएगा। भद्रा सुबह 6:17 तक रहेगी। इसका दोष नहीं होने से सुबह से पूर्णिमा तिथि के समापन तक राखियां बांधी जाएंगी। इस दिन सुबह 7:56 से गुरु-चंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा। गुरु-चंद्र की यह युति गजकेसरी योग बनाने के साथ-साथ शुभ कार्यो के लिए विशेष फालदायक रहती है। श्रवण नक्षत्र एक दिन पूर्व चौदस तिथि में घटित होगा। इस साल पूर्णिमा का पर्व श्रवण नक्षत्र में नहीं मनाया जाएगा। 22 अगस्त रविवार को श्रावणी उपाकर्म के साथ-साथ ऋषि तर्पण, गायत्री जयंती, संस्कृत दिवस, बंगवाल उत्सव के साथसाथ कोकिला व्रत पूर्ण होगा। इसी दिन से शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाएगा।
ज्योतिषाचार्य द्वय ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति के साथ चंद्रमा की युति 22 अगस्त रविवार सुबह 7:56 से 24 अगस्त मंगलवार शाम 6:18 बजे तक चलेगी। चंद्र-गुरु की युति गजकेसरी योग की निष्पत्ति होती है, जिसके फलस्वरूप इस अवधि में किए गए धार्मिक अनुष्ठान का अधिक शुभ फल प्राप्त होता है। इससे कर्ता को यश, प्रतिष्ठा, सम्मान के साथ-साथ इलौकिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। इधर एक ज्योर्तिविद् ने बताया कि रक्षाबंधन त्योहार मे मंगल को भाई और बुध को बहन माना गया है। यह योग सिंह राशि मे आया है, जो शुक्र के प्रभाव मे रहेगा। सबसे अच्छा मुहूर्त सूर्य की होरा में सुबह छह से आठ बजे तक है।