
सतना जिले के सबसे बड़े थाने में शुमार कोलगवां थाना इन दिनों प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह संचालित हो रहा है। जिस प्रकार से किसी कंपनी में मनमुताबिक काम न होने पर कर्मचारी को मालिक कार्रवाई का शिकार बना लेता है, कमोबेश उसी अंदाज में थाना प्रभारी के मन मुताबिक न चलने वाले जवानों को कार्रवाई का शिकार बना लिया जाता है। विगत दिवस कोलगवां थाना प्रभारी द्वारा दो पुलिसकर्मियों पर की गई ऐसी ही कार्रवाई विभागीय गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है।
कोलगवां कोतवाल डीपी सिंह पर उन्ही के अधीनस्थ पुलिसकर्मियों ने अभद्रता को आरोप लगाए हैं। जवानों का आरोप है कि थाना प्रभारी द्वारा अधीनस्थ पुलिसकर्मियों से नौकरों की तरह व्यवहार किया जाता है और अश्लील गालियां तक दी जाती हैं। अनुशासन की डोर से बंधे पुलिसकर्मी बेशक अपने थाना प्रभारी के खिलाफ मुखर होकर विरोध न दर्ज करा रहे हों लेकिन थाना प्रभारी की इन हरकतों से थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी भीतर ही भीतर उबल रहे हैं।
कोलगवां थाना प्रभारी पर संगीन आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोप हैं कि थाना प्रभारी थाने के उसी पुलिसकर्मी को प्रमोट करते हैं जो वसूली में माहिर हैं। जिनमे ऐसे गुण नहीं है उन्हें या तो लूप लाइन में डाल दिया जाता है अथवा उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी जाती है। कोविडकाल में जिन पुलिसकर्मियों को विभिन्न बीटों में तैनात किया जाता है उन्हें अघोषित वसूली का टारगेट दिया जाता है। कई पुलिसकर्मियों के तो प्वाइंट इसलिए बदल दिए गए हैं क्योंकि वे उन प्वाइंट से अपेक्षित वसूली नहीं कर पा रहे थे। अब इन आरोपों में कितना दम है यह तो उच्चाधिकारियों की जांच में ही सामने आ सकता है लेकिन कोलगवां थाना प्रभारी का रवैया कोविडकाल में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वाले पुलिसकर्मियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, जिस पर उच्चाधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।