SINGRAULI – एनसीएल अमलोरी परियोजना में कार्यरत सिक्कल कम्पनी ने सेफ्टी, सीआईएसएफ और अन्य विभाग के साथ मिलकर करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी की कवायद तेज कर दी है।
सिक्कल कम्पनी अब तक सरकार को एक करोड़ का चूना लगा चुकी है। जबकि 5 करोड़ का चूना लगाने की तैयारी कर रहा है। चर्चा है कि कंपनी ने उड़ीसा की वोल्वो टिपर लाकर बिना राज्य सरकार को टैक्स दिए करीब 3 साल से काम कर रही हैं।
यह टैक्स स्कैम 6 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मशीनरी और वोल्वो वाहनों को कबाड़ में बेचने के पहले एनसीएल प्रबंधन या फिर सेफ्टी से जुड़े जिम्मेदारों ने वाहनों के टैक्स को चेक कराने के लिए परिवहन अधिकारी को यदि कभी पत्राचार किया होता तो शायद एमपी सरकार को इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ता।
हालांकि कंपनी के कर्ताधर्ता धर्ताओं ने अब कुछ गाड़ियों का टैक्स जमा कर सभी गाड़ियों को कबाड़ी को देने में जुटे हैं। सूत्रों की माने तो सिक्कल कंपनी अब फर्जी टैक्स जमा करने की साजिश कर रहा है।
ताकि कंडम गाड़ियों को कबाड़ी को बेचा जा सके। हैरानी इस बात की है कि इतने बड़े टैक्स चोरी के मामले में आखिर एनसीएल प्रबंधन और सेफ्टी विभाग क्यों हीला हवाली कर रहा था। चर्चा है कि उड़ीसा से लाए वोल्वों टिपर वाहनों का बकाया टैक्स करोड़ों में पहुंच गया हैं। इसलिए कबाड़ी को बेचने में भी जमकर दलाली हुई है।
सेफ्टी विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही
सिक्कल कंपनी बिना टैक्स जमा मशीनरी और गाड़ियों से ओबी का खनन और परिवहन कर रही थी। जहां सवाल यह है कि आखिर सेफ्टी विभाग 3 सालों से क्यो चुप रहा। यदि सेफ्टी विभाग के जिम्मेदारों ने आरटीओ विभाग से पत्राचार कर गाड़ियों की टैक्स जमा होने और फिटनेस का पत्र लिखा होता तो संभवत इतने बड़े टैक्स की चोरी नहीं हो पोती।
ईओडब्ल्यू और आरटीओ विभाग यदि ईमानदारी से जांच करेगा तो सिक्कल कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा टैक्स चोरी के घोटाले का खुलासा हो सकता है।
15 करोड़ रूपये से अधिक कीमत का है कबाड़
बताया जा रहा है कि सिक्कल कम्पनी ने करीब 9 करोड़ 50 लाख में करीब 95 की संख्या में मशीनरी और वोल्वो टिपर वाहनों को कबाड़ी को बेचा हैं। जबकि इसकी कीमत 15 करोड़ से भी अधिक बताया जा रहा है।
सूत्रों की माने तो सिक्कल कंपनी के माइनिंग हेड और कबाड़ी के बीच में बड़ी डील हो गई है। इस सौदे में माइनिंग हेड को भी करोड़ रुपए मिलने की चर्चा है। शायद इसीलिए उन्होंने 15 करोड़ के स्कै्रप को महज 9 करोड़ 50 लाख रुपए में कबाड़ी को बेच दिया होगा। यदि इस कटिंग डील को ईओडब्ल्यू एजेंसी जांच करेगी तो कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं।