इस्लामाबाद/कराची। पाकिस्तान में ईधी फाउंडेशन और एआई AI तकनीक की मदद से 17 साल पहले लापता हुई महिला किरन को उसका परिवार मिला। जानिए कैसे AI तकनीक ने फिर से जोड़ा यह बिछड़ा रिश्ता।
आधुनिक तकनीक ने एक बार फिर इंसानियत को नई दिशा दी है। पाकिस्तान में 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ी एक महिला किरन का मिलन अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) AI की मदद से हुआ है। यह कहानी दिखाती है कि जहां मानवीय कोशिशें थम जाती हैं, वहां तकनीक नयी उम्मीद जगाती है।
किरन उस वक्त सिर्फ नौ साल की थीं जब वे इस्लामाबाद की गलियों में अपने घर का रास्ता भूल गईं। पड़ोसियों की पहचान याद न रहने के कारण उन्हें स्थानीय लोगों ने ईधी फाउंडेशन के हवाले कर दिया। बाद में बिलकिस ईधी ने उन्हें कराची के शेल्टर होम में भेजा,
सालों तक फाउंडेशन ने अखबारों और स्थानीय पुलिस की मदद से उनके माता-पिता की तलाश की, लेकिन परिणाम सिफर रहा। परिवार की खोज धीरे-धीरे उम्मीदों में बदल गई और फिर खामोशी में गुम हो गई।
इस साल की शुरुआत में फाउंडेशन ने पंजाब सेफ सिटी प्रोजेक्ट के साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ नबील अहमद से संपर्क किया। उन्होंने किरन की मौजूदा तस्वीरों और शुरुआती जानकारी की तुलना पुरानी पुलिस फाइलों से की। एआई AI आधारित फेसियल रिकग्निशन सिस्टम ने आखिर उस कड़ी को जोड़ दिया जो 17 साल से टूटी हुई थी। जांच में सामने आया कि किरन के पिता अब्दुल मजीद, जो इस्लामाबाद में दर्जी का काम करते हैं, लगातार अपनी बेटी को तलाश रहे थे।
जब अब्दुल मजीद अपनी बेटी से कराची के ईधी शेल्टर में मिले, तो भावनाएं शब्दों से परे थीं। उन्होंने कहा, “हमने उम्मीद छोड़ दी थी, पर अल्लाह ने हमें नई राह दिखाई — वो भी मशीन के जरिये।”
ईधी फाउंडेशन के मुताबिक, यह पांचवीं बार है जब किसी लापता बच्चे का परिवार एआई AI तकनीक की मदद से खोजा गया है। संस्था अब पाकिस्तान के अन्य सेफ सिटी नेटवर्क्स के साथ मिलकर ऐसी खोजों को तेज करने की योजना बना रही है।
किरन की कहानी इस सदी की सबसे मानवीय तकनीकी उपलब्धियों में से एक बन गई है — यह साबित करते हुए कि डिजिटल युग में भी दिल की तारें सबसे मजबूत होती हैं।

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इस्लामाबाद/कराची। पाकिस्तान में ईधी फाउंडेशन और एआई AI तकनीक की मदद से 17 साल पहले लापता हुई महिला किरन को उसका परिवार मिला। जानिए कैसे AI तकनीक ने फिर से जोड़ा यह बिछड़ा रिश्ता।
आधुनिक तकनीक ने एक बार फिर इंसानियत को नई दिशा दी है। पाकिस्तान में 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ी एक महिला किरन का मिलन अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) AI की मदद से हुआ है। यह कहानी दिखाती है कि जहां मानवीय कोशिशें थम जाती हैं, वहां तकनीक नयी उम्मीद जगाती है।
किरन उस वक्त सिर्फ नौ साल की थीं जब वे इस्लामाबाद की गलियों में अपने घर का रास्ता भूल गईं। पड़ोसियों की पहचान याद न रहने के कारण उन्हें स्थानीय लोगों ने ईधी फाउंडेशन के हवाले कर दिया। बाद में बिलकिस ईधी ने उन्हें कराची के शेल्टर होम में भेजा,
सालों तक फाउंडेशन ने अखबारों और स्थानीय पुलिस की मदद से उनके माता-पिता की तलाश की, लेकिन परिणाम सिफर रहा। परिवार की खोज धीरे-धीरे उम्मीदों में बदल गई और फिर खामोशी में गुम हो गई।
इस साल की शुरुआत में फाउंडेशन ने पंजाब सेफ सिटी प्रोजेक्ट के साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ नबील अहमद से संपर्क किया। उन्होंने किरन की मौजूदा तस्वीरों और शुरुआती जानकारी की तुलना पुरानी पुलिस फाइलों से की। एआई AI आधारित फेसियल रिकग्निशन सिस्टम ने आखिर उस कड़ी को जोड़ दिया जो 17 साल से टूटी हुई थी। जांच में सामने आया कि किरन के पिता अब्दुल मजीद, जो इस्लामाबाद में दर्जी का काम करते हैं, लगातार अपनी बेटी को तलाश रहे थे।
जब अब्दुल मजीद अपनी बेटी से कराची के ईधी शेल्टर में मिले, तो भावनाएं शब्दों से परे थीं। उन्होंने कहा, “हमने उम्मीद छोड़ दी थी, पर अल्लाह ने हमें नई राह दिखाई — वो भी मशीन के जरिये।”
ईधी फाउंडेशन के मुताबिक, यह पांचवीं बार है जब किसी लापता बच्चे का परिवार एआई AI तकनीक की मदद से खोजा गया है। संस्था अब पाकिस्तान के अन्य सेफ सिटी नेटवर्क्स के साथ मिलकर ऐसी खोजों को तेज करने की योजना बना रही है।
किरन की कहानी इस सदी की सबसे मानवीय तकनीकी उपलब्धियों में से एक बन गई है — यह साबित करते हुए कि डिजिटल युग में भी दिल की तारें सबसे मजबूत होती हैं।

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