एसटी के फर्जी सर्टिफिकेट पर 25 साल से कर रहा थानेदारी

गोंड जाति के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र बनवा कर वर्ष 2000 में सीधे सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुआ अमिताभ थियोफिलस का फर्जीवाड़ा अब जाकर उजागर हुआ है। 25 साल से नौकरी कर रहा यह व्यक्ति लोगों की आंखों में धूल झोंककर अमिताभ सिंह नाम बताकर खुद को राजपूत जाति का बताया करता था।
लगातार हो रही शिकायत के बाद आखिरकार इसकी जांच की गई, तो पता चला कि यह न राजपूत है और न ही गोंड जाति का, बल्कि यह क्रिश्चिन धर्मावलम्बी है। बताया जाता है कि नेपियर टाउन अंकुर अपार्टमेंट निवासी स्व. धीरेन्द्र प्रताप सिंह के पुत्र अमिताभ सिंह का जब स्कूल में नाम लिखाया गया था, तब उसके नाम के साथ गोंड जाति लिखवा दी गई थी।
इस आधार पर उसने पढ़ाई के बाद गोंड जाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया था। इसी के आधार पर उसकी पुलिस में नौकरी लग गई। वर्तमान में वह बुरहानपुर में पुलिस लाइन में पदस्थ है। 2019 में हुई थी शिकायत | वर्ष 2019 में भोपाल निवासी सोनाली दात्रे ने जनजातीय विभाग की तत्कालीन आयुक्त दीपाली रस्तोगी से अमिताभ सिंह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत दी थी।
तब जांच नहीं हुई और मामला टल गया। 9 अक्टूबर 2024 को दोबारा उसकी शिकायत भोपाल निवासी प्रमिला तिवारी ने आयुक्त जनजातीय से की। उन्होंने जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना से पत्राचार किया और जांच की बात कही। इसे देखते हुए कलेक्टर ने जांच का जिम्मा रांझी एसडीएम आरएस मरावी को दिया।
अमिताभ प्रताप सिंह का गोंड जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। उसके पूर्वजों का भी पता कराया गया, लेकिन न तो उनका रांझी तहसील में निवास पाया गया है और न ही वे गोंड जाति के पाए गए। रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी गई है। –आरएस मरावी, एसडीएम रांझी
