आज खुलेंगे बाबा केदारनाथ के पट, हजारो श्रद्धालु पहुंचे

हिमालय की बर्फीली वादियों में बीते छह महीने से बैठे बाबा केदारनाथ को समाधि से उठाने का वक्त आ गया है। अभी रात के 8:30 बज रहे हैं। तापमान माइनस दो डिग्री के आसपास है।
बाबा केदार के आंगन में करीब डेढ़ हजार भक्त पूरी रात जागरण करने की तैयारी से बैठे हैं, क्योंकि 2 मई यानी शुक्रवार सुबह 7 बजे केदारधाम के कपाट अगले छह महीने के लिए खुलने जा रहे हैं। वैसे, उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के इस सबसे दिव्य स्थल के कपाट खोलने का विधान भी दिलचस्प है।
मंदिर समिति के सदस्य पं. राजकुमार तिवारी ने बताया कि मंदिर में सबसे पहले कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के मुख्य रावल भीमशंकर लिंग प्रवेश करेंगे। उनके साथ दो अन्य पुजारी होंगे, जो बंद मंदिर में छह महीने से प्रज्वलित हो रही दिव्य अखंड ज्योति के दर्शन करेंगे।
इसके बाद गर्भगृह और मंदिर की साफ-सफाई शुरू होगी और रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक के मंत्रों के साथ बाबा पर छह महीने पहले चढ़ाया गया भीष्म शृंगार हटाया जाएगा। इसे हटाने की प्रक्रिया भी दिलचस्प है।
सबसे पहले शिवलिंग के पास रखे गए मौसमी फल और ड्राई फ्रूट्स का ढेर हटाते हैं। इसे आर्घा कहते हैं। फिर बाबा पर चढ़ी एक से लेकर 12 मुखी रुद्राक्ष की मालाएं निकालते हैं।
इसके बाद शिवलिंग पर चारों ओर लपेटा गया सफेद कॉटन का कपड़ा हटाया जाता है। पट बंद करते समय शिवलिंग पर छह लीटर पिघला शुद्ध घी का लेपन करते हैं, वो इस वक्त जमा होता है, इसे धीरे-धीरे शिवलिंग से निकालते हैं। इसके बाद होता है शिवलिंग का गंगा स्नान, गोमूत्र, दूध, शहद और पंचामृत स्नान के बाद बाबा केदार को नए फूलों, भस्म लेप और चंदन का तिलक लगाकर तैयार किया जाएगा।
कपाट बंद करते समय भीष्म श्रृंगार में करीब 5 घंटे लग जाते हैं, लेकिन कपाट खोलते वक्त आधे घंटे में इसे हटा दिया जाता है। सुबह 7:30 बजे गर्भगृह में श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए भेजना शुरू किया जाएगा।
