जज के घर में आग लगने के बाद मिले रूपये का मामला, अब जस्टिस ने कहा – ये मेरे रूपये नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले पर आग लगने के बाद मिली भारी नकदी के मामले में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने सीजेआई संजीव खन्ना को रिपोर्ट सौंप दी। इसके बाद सीजेआई ने शनिवार रात ही इन- हाउस जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। देर रात सुप्रीम कोर्ट ने 25 पन्नों की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।
इसमें दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, दिल्ली पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट, जस्टिस यशवंत वर्मा का पक्ष और जले हुए कैश की फोटो और वीडियो शामिल है। इससे पहली बार इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने आई है। सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया है कि जब तक जांच पूरी हो जाए, जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें।
देश के इतिहास में पहली बार किसी जज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी रिपोर्ट जारी की है। दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने 21 और 22 मार्च को सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में ये जानकारियां दीं , 15 मार्च को मैं होली की छुट्टी के चलते लखनऊ में था।
शाम 4:50 बजे दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने फोन पर बताया कि 14 मार्च की रात 11:30 बजे जस्टिस वर्मा के बंगले में आग लग गई थी। कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी। सचिव को आग लगने की जानकारी आवास पर कार्यरत नौकर ने दी। जिस कमरे में आग लगी वह गार्ड रूम के बगल में है। स्टोर रूम आमतौर पर बंद रहता था।
मैंने अपने रजिस्ट्रार को मौके पर भेजा, उन्होंने बताया- जिस कमरे में आग लगी वहां ताला नहीं था। 16 मार्च की शाम दिल्ली पहुंचने पर मैं आपसे (सीजेआई) मिला और रिपोर्ट दी। फिर जस्टिस वर्मा से संपर्क किया। उन्होंने 17 मार्च सुबह 8:30 बजे हाई कोर्ट गेस्ट हाउस में अपना पक्ष रखा और षड्यंत्र की आशंका जताई। मेरी जांच के मुताबिक प्रथम दृष्टया जिस कमरे में आग लगी वहां किसी बाहरी का प्रवेश संभव नहीं दिखता। केवल वहां रहने वाले व्यक्ति, नौकर और सीपीडब्ल्यूडी कर्मी ही जा सकते थे। इसलिए, मेरी राय है कि मामले की गहराई से जांच हो।’
जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सौंपे जवाब में कहा- 14/15 मार्च की रात बंगले के स्टाफ क्वार्टर के पास स्टोर रूम में आग लगी। कमरा पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, पबागवानी उपकरण, सीपीडब्ल्यूडी की सामग्री रखने के लिए इस्तेमाल होता था। कमरा खुला रहता था। इसमें स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी जा सकते थे। यह मेरे मुख्य आवास से अलग था। घटना के दिन, पत्नी और मैं भोपाल में थे। मेरी बेटी और वृद्ध मां घर पर थीं। मैं 15 मार्च की शाम पत्नी के साथ दिल्ली लौटा। आग लगने के बाद आधी रात को बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को फोन किया। आग बुझाने के दौरान, सभी स्टाफ और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर रहने को कहा गया था। आग बुझाने के बाद वे वहां गए, तो उन्हें वहां कोई नकदी या पैसे नहीं मिले। मैंने और न मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी उस स्टोर रूम में नकदी रखी। यह राशि मेरी नहीं है। 15 मार्च की शाम दिल्ली लौटने पर आपका पहला फोन आया था। आपके आग्रह पर आपके पर्सनल प्रोटोकॉल सेक्रेटरी भी घटनास्थल गए। वहां कोई नकदी नहीं मिली। यह बात उस रिपोर्ट से भी स्पष्ट है, जो मुझे सौंपी गई है।
पुलिस की रिपोर्टः
जज के पीए ने दी आग लगने की सूचना स्टोर रूम में 4-5 अधजली बोरियों में मिली थी भारतीय मुद्रा पुलिस ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दी रिपोर्ट में कहा है कि 14 मार्च रात 11:45 बजे पीसीआर को जस्टिस वर्मा के 30, तुगलाक क्रेसेंट बंगले में आग लगने की जानकारी मिली। दो दमकल वाहनों को बुलाया गया। आग कोठी की चारदिवारी के कोने में स्थित कमरे में लगी। इन्हीं से लगे कमरे में सुरक्षाकर्मी रहते हैं। शॉर्ट सर्किट से लगी आग पर तुरंत काबू पाया गया। आग बुझने के बाद कमर में अधजले नोट से भरी 4-5 अधजली बोरियां मिलीं। आग की जानकारी जज के निजी सचिव ने दी। फायर बिग्रेड को कोई फोन नहीं गया था।
सीजेआई का निर्देश
जस्टिस वर्मा अपना मोबाइल फोन और उसका डेटा नष्ट न करें, 6 महीने का रिकॉर्ड भी दें • 21 मार्च को सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को जस्टिस वर्मा से स्पष्टीकरण लेने को कहा। यह पूछने को कहा कि जस्टिस वर्मा कमरे में मिले पैसे किसके हैं ? इनका स्रोत क्या है ? 15 मार्च सुबह कमरे से जला पैसा किसने साफ किया ? • सीजेआई ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री में शामिल जस्टिस वर्मा के स्टाफ, उनके निजी सुरक्षा अधिकारी, सुरक्षा गार्ड की 6 महीने की फोन कॉल, मैसेज रिकॉर्ड और डेटा रिपोर्ट मांगी है । जस्टिस वर्मा को उनका फोन और डेटा नष्ट नहीं करने को कहा है।